मैथिल विद्वान महापुरुष-1

सम्पूर्ण भारत में मिथिला एकटा एहन क्षेत्र अछि जकर विद्वता अतुलनीय अछि. प्राचीन काल में एहिठाम एकसँ एक विद्वान महापुरुष भेलथि जिनक विद्वता, क्षमता एवं प्रखरतासँ सम्पूर्ण देश गौरवान्वित होइत रहल अछि. एहिमें निम्नलिखित विद्वानक योगदानके कहियो बिसरल नहि जा सकैछ

मैथिलीक पुरोधा जयकान्त मिश्र
(1922-2009) 
मैथिली साहित्यक एकटा बड़ पैघ विद्वान डॉ. जयकांत मिश्र 1982 ई. मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी आ आधुनिक यूरोपियन भाषा विभागक प्रोफेसर आ हेड पद सँ सेवानिवृत्त भेल छलाह। तकरा बाद ओ चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालयमे भाषा आ समाज विज्ञानक डीन रूपमे कार्य कएलन्हि।
स्व. मिश्र अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबादक अध्यक्षगंगानाथ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबादक अवैतनिक सचिव आ सम्पादकहिन्दी साहित्य सम्मेलनप्रयागक प्रबन्ध विभागक संयोजक आ साहित्य अकादमीनई दिल्लीक मैथिली प्रतिनिधि आ भाषा सम्पादक रहल छलाह।
मैथिली साहित्यक इतिहासफोक लिटेरेचर ऑफ मिथिलाकीर्तनिया ड्रामा सभक क्रिटिकल एडीशन,लेक्चर्स ऑन थॉमस हार्डीलेक्चर्स ऑन फोर पोएट्स आ द कॉम्प्लेक्स स्टाइल इन एंगलिश पोएट्री हिनक लिखित किछु ग्रंथ अछि।
हिनकर वृहत मैथिली शब्द कोष मात्र दू खण्ड प्रकाशित भए सकलजाहिमे देवनागरीक संग मिथिलाक्षर आ फोनेटिक अंग्रेजीमे सेहो मैथिली शब्दक नाम रहए। ई दुनू खण्ड मैथिली शब्दकोष संकलक लोकनिक लेल सर्वदा प्रेरणास्पद रहत। 3 फरबरी 2009 केँ सात बजे साँझमे निधन भगेलन्हि।

मैथिली भाषा-साहित्यक प्रसिद्ध समीक्षक प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह जीक उद्गार-
"डॉ. जयकांत मिश्रक मृत्यु मैथिलीक लेल एकटा अपूरणीय क्षति अछि। मैथिलीक लेल हिनकर सेवाक कोनो जोड़ नहि अछिग्रियर्सनक बाद ई एकमात्र एहन मैथिली प्रेमी रहथि जे मैथिलीकेँ विश्व-स्तर तक अनलन्हि आ विश्वक सोझाँ अनलन्हि।"

रामाश्रय झारामरग(१९२८-२००९ )  
विद्वान,वागयकार,शिक्षक आऽ मंच सम्पादक
भारतीय शास्त्रीय संगीतक समर्पित आऽ विलक्षण ओऽ विख्यात संगीतज्ञ पं रामाश्रय झा रामरंगकेर जन्म 11 अगस्त 1928 ई. तदनुसार भाद्र कृष्णपक्ष एकादशी तिथिकेँ मधुबनी जिलान्तर्गत खजुरा नामक गाममे भेलन्हि। हिनकर पिताक नाम पं सुखदेव झा आऽ काकाक नाम पं मधुसदन झाछन्हि। रामाश्रयजीक संगीत शिक्षा हिनका दुनू गोटेसँ हारमोनियम आऽ गायनक रूपमे मात्र वर्षक आयुमे शुरू भए गेलन्हि। तकरा बाद श्री अवध पाठकजीसँ गायनक शिक्षा भेटलन्हि।
15वर्ष धरि बनारसक एकटा प्रसिद्ध नाटक कम्पनीमे रामाश्रय झाजी कम्पोजरक रूपमे कार्य कएलन्हि। पं भोलानाथ भट्ट जी सँ25 वर्ष धरि ध्रुवपदधमारखयाल,ठुमरीदादरा,टप्पा शैली सभक विधिवत शिक्षा लेलन्हि।

पं भट्ट जीक अतिरिक्त्त रामाश्रय झा जी पंoबी.एन. ठकार (प्रयाग)उस्ताद हबीब खाँ (किराना)पं बी.एस. पाठक (प्रयाग) सँ सेहो संगीतक शिक्षा प्राप्त कएलन्हि।
पं झा 1954सँ प्रयागमे स्थाई रूपसँ रहि रहल छथि।1955 ई.मे हिनकर नियुक्त्ति लूकरगंज संगीत विद्यालयमे संगीत अध्यापक रूपमे भेलन्हि। 1960 ई. मे हिनकर नियुक्त्ति प्रयाग संगीत समितिमे भेलन्हिजतए 1970 धरि प्रभाकर आऽ संगीत प्रवीण कक्षाक शिक्षक रहलाह। 1970 मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक संगीत विभागाध्यक्ष श्री प्रो. उदयशंकर कोचकजी पंझाक संगीत क्षेत्रक सेवासँ प्रभावित भए विश्वविद्यालयमे हिनकर नियुक्त्ति कएलन्हि। पं0 झा उत्कृष्ट शिक्षक, गायक आऽ आकाशवाणीक प्रथम श्रेणीक कलाकार छथि।

पं झा संगीत शास्त्र केर श्रेष्ठ लेखक छथि आऽ हिनकर लिखल अभिनव गीतांजलि केर पांचू भाग प्रकाशित भए चुकल अछिजाहिमे 200सँ ऊपर रागक व्याख्या अछि आऽ दू हजारक आसपास बंदिश अछि।

मिथिलावासी श्री रामरंग राग तीरभुक्त्ति,राग वैदेही भैरव,आऽ राग विद्यापति कल्याण केर रचना सेहो कएने छथि आऽ मैथिली भाषामे हिनकर खयालरंजयति इति रागःकेर अनुरूप अछि।

अभिनव गीतांजलिहुनकर उच्चकोटिक शास्त्र रचना अछि,जे पाँच भागमे अछि। अपन साहित्यिक वाणीशाब्दिक रूप जे होइत अछि कोनो संगीत रचनाक,आऽ धातु जे अछि स्वरक लयक रचना आऽ एहि सभ गुणसँ युक्त्त छथि रामरंग। 

रामरंगमे संगीतक लाक्षणिक तत्त्व प्रखर होइत छन्हि। संगीतक व्याकरणक सम्पूर्ण पकड़ छन्हिजाहिसँ उचित शब्दक प्रयोगक निर्णय ओऽ कए पबैत छथि। छन्द शास्त्रककोषक,  अलंकारकभावक आऽ रसक वृहत् ज्ञान छन्हि रामरंगकेँ। संगहि स्थानीय संस्कृतिक,विभिन्न भाषाक आऽ ललित कलाक सिद्धान्तक सेहो गहन अध्ययन छन्हि रामाश्रय झा जीकेँ। वादनगाय आऽ नृत्यक,साधल-कण्ठ,लय-ताल-काल, देशी राग,दोसराक मनसमे जाऽ कए बुझनिहारनव लय आऽ अभ्व्यक्त्तिप्रबन्धक समस्त ज्ञान,कम समयमे गीत रचना, विभिन्न मौखिक संरचना निर्माण,आलापक प्रदर्शन आऽ गमक एहि सभटामे पारंगत छथि रामरंग।

श्री आरसी प्रसाद सिंह (1911-1996)
एरौत,समस्तीपुर। मैथिली आऽ हिन्दीक गीतकार। मैथिलीमे माटिक दीप,पूजाक फूल,सूर्यमुखी प्रकाशित। सूर्यमुखी पर 1984क साहित्य अकादमी पुरस्कार

स्व. राजकमल (मणीन्द्र नारायण चौधरी)(१९२९-१९६७)
महिषी,सहरसा। रचना:- आदि कथा,आन्दोलनपाथर फूल (उपन्यास)स्वरगंधा (कविता संग्रह),ललका पाग (कथा संग्रह), कथा पराग (कथा संग्रह सम्पादन)। हिन्दीमे अनेक उपन्यास,कविताक रचना,चौरङ्गी (बङला उपन्यासक हिन्दी रूपान्तर) अत्यन्त प्रसिद्ध। मिथिलांचलक मध्य वर्गक आर्थिक एवं सामाजिक संघर्षमे बाधक सभ तरहक संस्कार पर प्रहार करब हिनक वैशिष्ट्य रहलन्हि अछि। कथा,कविताउपन्यास सभ विधामे ई नवीन विचार धाराक छाप छोड़ि गेल छथि।

चाणक्य कौटिल्य
चाणक्य भारतकेँ एकटा सुदृढ़ आऽ केन्द्रीकृत शासन प्रदान कएलन्हि,जकर अनुभव भारतवासीकेँ पूर्वमे नहि छलन्हि।
चाणक्यक जीवन आऽ वंश विषयक सूचना अप्रामाणिक अछि। चाणक्यक आन नाम सभ सेहो अछि। जेना कौटिल्यविष्णुगुप्तवात्स्यायनमालांगद्रामिलपाक्षिलस्वामी आऽ आंगुल। विष्णुगुप्त नाम कामंदक केर नीतिसारविशाखादत्तक मुद्राराक्षस आऽ दंडीक दशकुमारचरितमे भेटैत अछि। अर्थशास्त्रक समापनमे सेहो ई चर्च अछि जे नन्द राजासँ भूमिकेँ उद्धार केनिहार विष्णुगुप्त द्वारा अर्थशास्त्रक रचना भेल। अर्थशास्त्रक सभटा अध्यायक समापनमे एकर रचयिताक रूपमे कौटिल्यक वर्णन अछि। जैन भिक्षु हेमचन्द्र हिनका चणकक पुत्र कहैत छथि। अर्थशास्त्रमे उल्लिखित अछि जे कौटिल्यकुटाल गोत्रमे उत्पन्न भेलाह।
पन्द्रहम अधिकरणमे कौटिल्य अपनाकेँ ब्राह्मण कहैत छथि। कौटिल्य गोत्रक नामविष्णुगुप्त व्यक्तिगत नाम आऽ चाणक्य वंशगत नाम बुझना जाइत अछि।
धर्म आऽ विधिक क्षेत्रमे कौटिल्यक अर्थशास्त्र आऽ याज्ञवल्क्य स्मृतिमे बड्ड समानतअछि जे चाणक्यक मिथिलावासी होयबाक प्रमाण अछि। अर्थशास्त्रमे (१.६ विनयाधिकारिके प्रथमाधिकरणेषडोऽध्यायः इन्द्रियजये अरिषड्वर्गत्यागः) कराल जनक केर पतनक सेहो चर्चा अछि। भारतीय शिलालेखसँ पता चलैत अछि जे चन्द्रगुप्त मौर्य 321ई.पू. मे आऽ अशोकवर्द्धन 296ई.पू. मे राजा बललाह। तदनुसार अर्थशास्त्रक रचना 321ई.पू आऽ 296ई.पू. केर बीच भेल सिद्ध होइत अछि।

याज्ञवल्क्य
याज्ञवल्क्य मिथिलाक दार्शनिक राजा कृति जनकक दरबारमे छलाह। हुनकर माताक वा पिताक नाम सम्भवतः वाजसनी छलन्हि। ओना हुनकर पिता देवरातकेँ मानल जाइत छन्हि। हुनकर माता ऋषि वैशम्पायनक बहिन छलीह। वैशम्पायन याज्ञवल्क्यक मामा छलाह संझ्गहि हुनकर गुरु सेहो। हुनकर पिता खेनाइ पुरस्कारक रूपमे बँटैत रहथि आऽ तेँ हुनकर नाम बाजसनि सेहो छन्हि। ब्यासक चारू पुत्रसँ ओऽ चारू वेदक शिक्षा पओलन्हि। यजुर्वेद ओऽ वैशम्पायनसँ सेहो सिखलन्हिवेदान्त उद्दालक आरुणिसँ आऽ योगक शिक्षा हिरण्यनाभसँ लेलन्हि।
याज्ञवल्क्यक दू टा पत्नी छलथिन्ह,१. कात्यायनी आऽ दोसर मैत्रेयी। मत्रेयी ब्रह्मवादिनी छलीह। कात्यायनीसँ हुनका तीनटा पुत्र छलन्हि- चन्द्रकान्ता,महामेघ आऽ विजय।
याज्ञवल्क्य १.शुक्ल यजुरवेद,२. शतपथ ब्राह्मणबृहदारण्यक उपनिषद आऽ याज्ञवल्क्य स्मृतिक दृष्टा/लेखक छथि। याज्ञवल्क्य स्मृतिमे आचार,व्यवहार,आऽ प्रायश्चित अध्याय अछि। राजधर्मसिविल आऽ क्रिमिनल लॉ एहिमे अछि। कौटिल्य जेकाँ याज्ञवल्क्य सेहो मानैत छथि जे राजाआऽ पुरहित दुनू दण्डनीतिक ज्ञान राखथि। याज्ञवल्क्य राज्यक सप्तांग सिद्धांतक चरचा सेहो विस्तारमे करैत छथि।

स्व. श्री गोपालजी झागोपेश
जन्म मधुबनी जिलाक मेहथ गाममे 1931ई. मे भेलन्हि। गोपेशजी बिहार सरकारक राजभाषा विभागसँ सेवानिवृत्त भेल छलाह। गोपेशजी कविता,एकांकी आऽ लघुकथा लिखबामे अभिरुचि छलन्हि। ई विभिन्न विधामे रचन कए मैथिलीक सेवा कएलन्हि। हिनकर रचित चारि गोट कविता संग्रहसोन दाइक चिट्ठी”, “गुम भेल ठाढ़ छी”, “एलबम” आऽ आब कहू मन केहन लगैए” प्रकाशित भेल जाहिमे सोनदाइक चिट्ठी बेश लोकप्रिय भेल। वस्तुस्थितिक यथावत् वर्णन करब हिनक काव्य-रचनाक विशेषता छन्हि।
हरिमोहन झाजीक अन्तिम समयमे प्रायः गोपेशजीकेँ अखबार पढ़िकेँ सुनबैत देखैत छलियन्हि। हरिमोहन झाक1984ई. मे मृत्युक किछु दिनुका बादहिसँ ओऽ शनैः शनैः मैथिली साहित्यक हलचलसँ दूर होमए लगलाह। एहि बीच एकटा साक्षात्कारमे शरदिन्दु चौधरी सेहो हुनकासँ एहि विषय पर पुछबाक कोशिश कएने छलाह मुदा गोपेशजी कहियो ने कन्ट्रोवर्सी मे रहलाह,से ओऽ ई प्रश्न टालि गेल छलाह।

मायानन्द मिश्र
हिनक जन्म 17अगस्त 1934ई. केँ सुपौल जिलाक बनैनियाँ गाममे भेलनि। तत्कालीन बनैनियाँ कोसीक प्रकोपसँ उजड़ि गेल। फलतः हिनक आरम्भिक शिक्षा अपन मामा स्व. रामकृष्ण झा किसुनक सान्निध्यमे सुपौलसँ भेलनि। उच्च शिक्षाक हेतु ई दरभंगा चलि गेलाह आऽ ओतएसँ बी.ए. कएल। पश्चात् बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुरसँ हिन्दी एवं मैथिलीमे एम.ए. कएलनि। 1956ई. मे आकाशवाणी पटनामे मैथिली कार्यक्रमक लेल नियुक्त भेलाह। एहि अवधिमे मायानन्द बाबू 10 गोट रेडियो नाटक लिखलनि जे अत्यन्त प्रशंसनीय रहल। 1961ई.मे ओऽ व्याख्यातामैथिली विभाग, सहरसा कॉलेज सहरसापदपर नियुक्त कएल गेलाह,जतए ई विश्वविद्यालय आचार्य एवं मैथिली विभागाध्यक्षक पदकेँ सुशोभित कएल तथा एक सफल शिक्षकक रूपमे अगस्त 1994मे एही विभागसँ अवकाश ग्रहण कएलनि।
आचार्य रमानाथ झाककविता कुसुममे ई कविता स्थान पाबि विश्वविद्यालयक पाठ्यक्रममे अध्ययन-अध्यापनक हेतु स्वीकृत भेल। हिनक उद्घोषण-कला आऽ मंच-संचालन कौशलसँ मैथिलीक कोन मंच नहि लाभान्वित भेल होएत। तेँ हिनका मैथिली मंचक सम्राट कहल जाइत छल। 1960 सँ 2000ई. धरि सफलतम मंच संचालन आऽ अपन चुम्बकीय वाणीसँ मैथिली जनमानसकेँ अपना दिस आकृष्ट कएलनि। भाषा आन्दोलनक सूत्रधारक रूपमे हिनक सहयोगकेँ मिथिला आऽ मैथिली सेहो सभ दिन स्मरण राखत।
पहिने मायानन्द जी कविता लिखलन्हि,पछाति जा कय हिनक प्रतिभा आलोचनात्मक निबंधउपन्यास आकथामे सेहो प्रकट भेलन्हि। भाङ्क लोटा,आगि मोम आपाथर आओर चन्द्र-बिन्दु हिनकर कथा संग्रह सभ छन्हि। बिहाड़िपात पाथरमंत्र-पुत्र,खोता आचिडै आसूर्यास्त हिनकर उपन्यास सभ अछि। दिशांतर हिनकर कविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्त सोने की नैय्या माटी के लोग, प्रथमं शैल पुत्री च,. मंत्रपुत्रपुरोहित आ’ स्त्री-धन हिनकर हिन्दीक कृति अछि। मंत्रपुत्र हिन्दी आमैथिली दुनू भाषामे प्रकाशित भेल आएकर मैथिली संस्करणक हेतु हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलन्हि। श्री मायानन्द मिश्र प्रबोध सम्मानसँ सेहो पुरस्कृत छथि। 

डॉ प्रफुल्ल कुमार सिंहमौन
ग्राम+पोस्ट- हसनपुर,जिला-समस्तीपुर। पिता स्व. वीरेन्द्र नारायण सिँहमाता स्व. रामकली देवी। जन्मतिथि- 20 जनवरी 1938. एम.ए.,डिप.एड.,विद्या-वारिधि (डि.लिट)। सेवाक्रम: नेपाल आऽ भारतमे प्राध्यापन। १.म.मो.कॉलेजविराटनगर,नेपाल,१९६३-७३, २.प्रधानाचार्य, रा.प्र. सिंह कॉलेज, महनार (वैशाली),१९७३-९१ ई.।३. महाविद्यालय निरीक्षक,बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर,१९९१-९८.

मैथिलीक अतिरिक्त नेपाली अंग्रेजी आऽ हिन्दीक ज्ञाता।
मैथिलीमे १.नेपालक मैथिली साहित्यक इतिहास (विराटनगर,१९७२)२.ब्रह्मग्राम (रिपोर्ताज दरभंगा १९७२)३. मैथिली’ त्रैमासिकक सम्पादन (विराटनगर,नेपाल १९७०-७३)४. मैथिलीक नेनागीत (पटना,१९८८ ई.),५.नेपालक आधुनिक मैथिली साहित्य (पटना,१९९८ ई.),६. प्रेमचन्द चयनित कथा,भाग- १ आऽ २ (अनुवाद),७. वाल्मीकिक देशमे (महनार२००५) विदापत” (लोकधर्मी नाट्य) एवं मिथिलाक लोकसंस्कृति
भूमिका लेखन: १. नेपालक शिलोत्कीर्ण मैथिली गीत (डॉ रामदेव झा),२.धर्मराज युधिष्ठिर (महाकाव्य प्रो. लक्ष्मण शास्त्री),३.अनंग कुसुमा (महाकाव्य डॉ मणिपद्म)४.जट-जटिन/ सामा-चकेबा/अनिल पतंग),५.जट-जटिन (रामभरोस कापड़ि भ्रमर)।
अकादमिक अवदान: परामर्शी,साहित्य अकादमी,दिल्ली। कार्यकारिणी सदस्य,भारतीय नृत्यकला मन्दिरपटना। सदस्यभारतीय भाषा संस्थान,मैसूर। भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली। कार्यकारिणी सदस्य,जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, जनकपुरधाम,नेपाल।
सम्मान: मौन जीकेँ साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार,२००४ ई.,मिथिला विभूति सम्मानदरभंगा,रेणु सम्मान, विराटनगरनेपालमैथिली इतिहास सम्मान,वीरगंजनेपाल, लोक-संस्कृति सम्मान, जनकपुरधाम, नेपालसलहेस शिखर सम्मानसिरहा नेपालपूर्वोत्तर मैथिल सम्मान, गौहाटी, सरहपाद शिखर सम्मानरानीबेगूसराय आऽ चेतना समिति,पटनाक सम्मान भेटलछन्हि।
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीमे सहभागिता-इम्फाल (मणिपुर), गोहाटी (असम)कोलकाता (प. बंगाल),भोपाल (मध्यप्रदेश), आगरा (उ.प्र.)भागलपुर,हजारीबाग, (झारखण्ड), सहरसामधुबनीदरभंगा,  मुजफ्फरपुर,  वैशालीपटनाकाठमाण्डू (नेपाल),जनकपुर (नेपाल)।
मीडिया: भारत एवं नेपालक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे सहस्राधिक रचना प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शनसँ प्रायः साठ-सत्तर वार्तादि प्रसारित।
अप्रकाशित कृति सभ: १. मिथिलाक लोकसंस्कृति,२. बिहरैत बनजारा मन (रिपोर्ताज),३.मैथिलीक गाथा-नायक,४.कथा-लघु-कथा,५.शोध-बोध (अनुसन्धान परक आलेख)।
व्यक्तित्व-कृतित्व मूल्यांकन: प्रो. प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन: साधना और साहित्य,सम्पादक डॉ.रामप्रवेश सिंह,डॉ. शेखर शंकर (मुजफ्फरपुर,१९९८ई.)।
चर्चित हिन्दी पुस्तक: थारू लोकगीत (१९६८),सुनसरी (रिपोर्ताज,१९७७)बिहार के बौद्ध संदर्भ (१९९२),हमारे लोक देवी-देवता (१९९९ ई.)बिहार की जैन संस्कृति (२००४),मेरे रेडियो नाटक (१९९१)सम्पादित- बुद्ध,विदेह और मिथिला (१९८५),बुद्ध और विहार (१९८४ ई.),बुद्ध और अम्बपाली (१९८७ ई.),राजा सलहेस: साहित्य और संस्कृति (२००२ ई.),मिथिला की लोक संस्कृति (२००६ ई.)।

डॉ. प्रेमशंकर सिंह
ग्राम+पोस्ट- जोगियारा,थाना- जाले,जिला- दरभंगा। मैथिलीक वरिष्ठ सृजनशील,मननशील आऽ अध्ययनशील प्रतिभाक धनी साहित्य-चिन्तक,दिशा-बोधक,समालोचक, नाटक ओ रंगमंचक निष्णात गवेषकमैथिली गद्यकेँ नव-स्वरूप देनिहारकुशल अनुवादकप्रवीण सम्पादक,  

मैथिली, हिन्दी,संस्कृत साहित्यक प्रखर विद्वान् तथा बाङला एवं अंग्रेजी साहित्यक अध्ययन-अन्वेषणमे निरत प्रोफेसर डॉ. प्रेमशंकर सिंह (२० जनवरी १९४२) क विलक्षण लेखनीसँ एक पर एक अक्षय कृति भेल अछि निःसृत। हिनक बहुमूल्य गवेषणात्मक,मौलिक,अनूदित आऽ सम्पादित कृति रहल अछि अविरल चर्चित-अर्चित। ओऽ अदम्य उत्साह,धैर्यलगन आऽ संघर्ष कऽ तन्मयताक संग मैथिलीक बहुमूल्य धरोरादिक अन्वेषणकऽ देलनि पुस्तकाकार रूप। हिनक अन्वेषण पूर्ण ग्रन्थ आऽ प्रबन्धकार आलेखादि व्यापक,चिन्तनमनन,मैथिल संस्कृतिक आऽ परम्पराक थिक धरोहर। हिनक सृजन शीलतासँ अनुप्राणितभऽ चेतना समिति,पटना मिथिला विभूति सम्मान (ताम्र-पत्र) एवं मिथिला-दर्पण,मुम्बई वरिष्ठ लेखक सम्मानसँ कयलक अछि अलंकृत। सम्प्रति चारि दशक धरि भागलपुर विश्वविद्यालयक प्रोफेसर एवं मैथिली विभागाध्यक्ष।
कृति-लिप्यान्तरण-१.अङ्कीयानाट,मनोज प्रकाशन  भागलपुर१९६७
सम्पादन-१. गद्यवल्लरी,महेश प्रकाशन,भागलपुर,१९६६,२. नव एकांकी,महेश प्रकाशनभागलपुर,१९६७३.पत्र-पुष्प, महेश प्रकाशनभागलपुर१९७०,४. पदलतिका,महेश प्रकाशनभागलपुर,१९८७,५. अनमिल आखर,  कर्णगोष्ठी, कोलकाता,२००० ६.मणिकण,कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेल छल, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००४८. मैथिली लोकगाथाक इतिहास, कर्णगोष्ठीकोलकाता २००३, ९.भारतीक बिलाड़ि, कर्णगोष्ठी,कोलकाता २००३१०. चित्रा-विचित्रा, कर्णगोष्ठी, कोलकाता २००३,११. साहित्यकारक दिन,  मिथिला सांस्कृतिक परिषद,  कोलकाता२००७. १२. वुआड़ि भक्तितरङ्गिणी,ऋचा प्रकाशन, भागलपुर  २००८१३.मैथिली लोकोक्ति कोश,भारतीय भाषा संस्थान,  मैसूर,२००८१४.रूपा सोना हीराकर्णगोष्ठी,कोलकाता,२००८।
पत्रिका सम्पादन- भूमिजा २००२
मौलिक मैथिली: १.मैथिली नाटक ओ रंगमंच,मैथिली अकादमी,पटना,१९७८ २.मैथिली नाटक परिचयमैथिली अकादमीपटना,१९८१ ३.पुरुषार्थ ओ विद्यापति,ऋचा प्रकाशन, भागलपुर,१९८६ ४.मिथिलाक विभूति जीवन झा, मैथिलीअकादमी,पटना,१९८७,५.नाट्यान्वाचय,शेखरप्रकाशन, पटना २००२ ६.आधुनिक मैथिली साहित्यमे हास्य-व्यंग्य, मैथिली अकादमी,पटना,२००४ ७.प्रपाणिकाकर्णगोष्ठी, कोलकाता २००५,८.ईक्षण,ऋचा प्रकाशन भागलपुर २००८ ९.युगसंधिक प्रतिमान,ऋचा प्रकाशनभागलपुर २००८ १०.चेतना समिति ओ नाट्यमंचचेतना समिति,पटना २००८
मौलिक हिन्दी: १.विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकन, प्रथमखण्डबिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी,पटना १९७१ २.विद्यापति अनुशीलन और मूल्यांकनद्वितीय खण्ड,बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमीपटना १९७२३.हिन्दी नाटक कोश, नेशनल पब्लिकेशन हाउस,दिल्ली १९७६.
अनुवाद:हिन्दी एवं मैथिली- १.श्रीपादकृष्ण कोल्हटकर, साहित्य अकादमी,नई दिल्ली १९८८,२. अरण्य ४. गोविन्द दास, साहित्य अकादेमी,नई दिल्ली २००७ ५. रक्तानल,ऋचा प्रकाशन,भागलपुर २००८.

श्री बिलट पासवानविहंगम
जन्म मधुबनी जिलाक एकहत्था ग्राममे १९४० ई. मे भेलन्हि। छात्रावस्थासँ राजनीति एवं साहित्य दुनूमे अभिरुचि रहलन्हि अछि। किछु अवधिक हेतु ई बिहार राज्यक उपमंत्री पदकेँ सेहो सुशोभित कएलन्हि आऽ बिहार विधान सभाक सदस्य रहलाह। गाम घरक चित्रण एवं दलित वर्गक वर्णन हिनक रचनामे सर्वत्र भेटत।

डॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )।
जन्म स्थान- पिलखबाड़,मधुबनी। एम.ए. (हिन्दी),रेडियो नाटक पर पी.एच.डी.। कवि,कथाकार,नाटककार आ' उपन्यासकार। १९६४-६५ मे पाँच गोटे कवि-लेखककाल पुरुष”(कालपुरुष अर्थात् आब स्वर्गीय प्रभास कुमार चौधरी, श्री गंगेश गुन्जन,श्री साकेतानन्द,आब स्वर्गीय श्री बालेश्वर तथा गौरीकान्त चौधरीकान्त,आब स्वर्गीय) नामसँ सम्पादित करैत मैथिलीक प्रथम नवलेखनक अनियमित कालीन पत्रिकाअनामा”-जकर ई नाम साकेतानन्दजी द्वारा देल गेल छल आऽ बाकी चारू गोटेद्वारा अभिहित भेल छल- छपल छल। ओहि समयमे ई प्रयास ताहि समयक यथास्थितिवादी मैथिलीमे पैघ दुस्साहस मानल गेलैक। फणीश्वरनाथ रेणुजी अनामाक लोकार्पण करैत काल कहलन्हि, “किछु छिनार छौरा सभक ई साहित्यिक प्रयास अनामा भावी मैथिली लेखनमे युगचेतनाक जरूरी अनुभवक बाट खोलत आऽ आधुनिक बनाओत। 

कथा-दिशाक ऐतिहासिक कथा विशेषांक लोकक मानसमे एखनो ओहिना छन्हि। श्री गंगेश गुंजन मैथिलीक प्रथम चौबटिया नाटक बुधिबधियाक लेखक छथि आऽ हिनका उचितवक्ता (कथा संग्रह) क लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटल छन्हि। एकर अतिरिक्त्त मैथिलीमे हम एकटा मिथ्या परिचय,लोक सुनू (कविता संग्रह),अन्हार- इजोत (कथा संग्रह),पहिल लोक (उपन्यास)आइ भोर (नाटक) प्रकाशित। हिन्दीमे मिथिलांचल की लोक कथाएँ,मणिपद्मक नैका- बनिजाराक मैथिलीसँ हिन्दी अनुवाद आऽ शब्द तैयार है (कविता संग्रह)।

सुभाष चन्द्र यादव,
कथाकार,समीक्षक एवं अनुवादक,जन्म ०५ मार्च १९४८, मातृक दीवानगंजसुपौलमे। पैतृक स्थान: बलबा-मेनाही, सुपौल मधुबनी। आरम्भिक शिक्षा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज,पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्लीसँ हिन्दीमे एम.ए. तथा पी.एच.डी.। १९८२सँ अध्यापन। सम्प्रति: अध्यक्षस्नातकोत्तर हिन्दी विभाग,भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालयपश्चिमी परिसरसहरसा,बिहार। मैथिलीहिन्दीबंगलासंस्कृतउर्दू,  अंग्रेजीस्पेनिश एवं फ्रेंच भाषाक ज्ञान।
प्रकाशन: घरदेखिया (मैथिली कथा-संग्रह),मैथिली अकादमी, पटना,१९८३हाली (अंग्रेजीसँ मैथिली अनुवाद), साहित्य अकादमीनई दिल्ली,१९८८बीछल कथा (हरिमोहन झाक कथाक चयन एवं भूमिका),साहित्य अकादमी,नई दिल्ली,१९९९बिहाड़ि आउ (बंगला सँ मैथिली अनुवाद)किसुन संकल्प लोक,सुपौल,१९९५भारत-विभाजन और हिन्दी उपन्यास (हिन्दी आलोचना)बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्पटना,२००१राजकमल चौधरी का सफर (हिन्दी जीवनी) सारांश प्रकाशन,नई दिल्ली,२००१मैथिलीमे करीब सत्तरि टा कथातीस टा समीक्षा आ हिन्दी,बंगला तथा अंग्रेजी मे अनेक अनुवाद प्रकाशित।
भूतपूर्व सदस्य: साहित्य अकादमी परामर्श मंडलमैथिली अकादमी कार्य-समिति,बिहार सरकारक सांस्कृतिक नीति-निर्धारण समिति।

प्रोफेसर उदय नारायण सिंहनचिकेता
जन्म-१९५१ ई. कलकत्तामे।
शिक्षा- बी. ए. (सम्मान) भाषा विज्ञान (प्रथम ईशान स्कॉलर) कलकत्ता विश्वविद्यालय,कलकत्ता,एम.ए. भाषाविज्ञान,पी-एचडी. भाषाविज्ञानदिल्ली  विश्वविद्यालय,दिल्ली
रचना संसार- मैथिली साहित्य मध्य छद्म नाम नचितकेताक नामेमैथिली आ बंगला साहित्यक कवि आ नाटककारक रूपमे प्रख्यात श्रीसिंह एखन धरि चारि कविता संग्रह,एगारह गोट नाटक (मैथिलीमे),छओ साहित्यिक निबंधआ दू टा कविता संग्रह (बांग्लामे)एकर अतिरिक्त एहि दुनू भाषामे आ अंग्रेजीमे कतोक पुस्तकक अनुवादकचुकल छथि। १९६६ मे १५ वर्षक उम्रमे पहिल काव्य संग्रहकवयो वदन्ति। १९७१ अमृतस्य पुत्राः’ (कविता संकलन) आऽनायकक नाम जीवन’ (नाटक)|१९७४ मेएक छल राजा’/ ’नाटकक लेल’ (नाटक)। १९७६-७७प्रत्यावर्त्तन’/’रामलीला’(नाटक)। १९७८ मे जनक आऽ अन्य एकांकी। १९८१ अनुत्तरण’ (कविता-संकलन)। १९८८प्रियंवदा’ (नाटिका)। १९९७-‘ रवीन्द्रनाथक बाल-साहित्य’ (अनुवाद)। १९९८अनुकृति’-आधुनिक मैथिली कविताक बंगलामे अनुवाद,संगहि बंगलामे दूटा कविता संकलन। १९९९ अश्रु ओ परिहास। २००२खाम खेयाली। २००६मे मध्यमपुरुष एकवचन’ (कविता संग्रह। २००८ ई. मे नाटक "नो एण्ट्री: मा प्रविश"सम्पूर्ण रूपेँ "विदेह" ई- पत्रिकामे धारावाहिक रूपेँ ई-प्रकाशित भए एकटा कीर्तिमान बनेलक। भाषा-विज्ञानक क्षेत्रमे दसटा पोथी आऽ दू सयसँ बेशी शोध-पत्र प्रकाशित। १४ टा पी.एच.डी. आऽ २९ टा एम.फिल. शोध-कर्मक दिशा निर्देश।
आन साहित्यिक गतिविधि- प्रो. सिंह बांगलादेश,कॅरबियन आयलैंडफ्रांसजर्मनी,इटलीनेपालपाकिस्तान,  रूस,  सिंगापुरस्वीडनथायलैंड आर अमेरिकामे विविध विषय पर अपन व्याख्यान देने छथि।
इंडो-इटैलियन कल्चरल एक्सचेंज फॉर क्रिएटिव रायटर्सक सदस्य (1999), त्रिनिदाद आर टॉबेगो मे कार्यालयी प्रतिनिधिक सदस्य (2002),आ मॉरीशस (2005),फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेलामे आमंत्रित कवि,जतय इंडिया गेस्ट ऑफ ऑनरसँ सम्मानित भेलाह (2006),चीन मे संपन्न एगारह लेखकक सांस्कृतिक प्रतिनिधिक प्रमुखक रूपमे भाग नेनेछलाह।
कार्यक्षेत्र-महाराजा सियाजी राव विश्वविद्यालय,बड़ौदा,(1979-81), दक्षिणी गुजरात विश्वविद्यालय (1981-85), दिल्ली विश्वविद्यालयदिल्ली (1985-87),हैदराबाद विश्वविद्यालयहैदराबाद, (1987-2000)मे भाषा विज्ञानक प्रोफेसर,ओ अतिथि प्रोफेसरक रूपमे इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ एडवांस स्टडी,शिमला (1989)मे काज करैत वर्तमानमे केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान,मैसूर मे निदेशकक पद पर आसीन छथि।

श्री रामभरोस कापड़िभ्रमर(1951- )
जन्म-बघचौरा,जिला धनुषा (नेपाल)। सम्प्रति- जनकपुर धामनेपाल। त्रिभुवन विश्वविद्यालयसँ एम.ए.,  पी.एच.डी. (मानद)।
प्रधान सम्पादक: गामघर साप्ताहिक,जनकपुर एक्सप्रेस दैनिक,आंजुर मासिक,आंगन अर्द्धवार्षिक (प्रकाशक नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानकमलादी)।
मौलिक कृति: बन्नकोठरी: औनाइत धुँआ (कविता संग्रह),नहि,आब नहि (दीर्घ कविता),तोरा संगे जएबौ रे कुजबा (कथा संग्रह,मैथिली अकादमी पटना, 1984),मोमक पघलैत अधर (गीत,गजल संग्रह, 1983),अप्पन अनचिन्हार (कविता संग्रह, 1990ई.)रानी चन्द्रावती (नाटक)एकटा आओर बसन्त (नाटक),महिषासुर मुर्दाबाद एवं अन्य नाटक (नाटक संग्रह)अन्ततः (कथा-संग्रह)मैथिली संस्कृति बीच रमाउंदा (सांस्कृतिक निबन्ध सभक संग्रह)बिसरल-बिसरल सन (कविता-संग्रह),जनकपुर लोक चित्र (मिथिला पेंटिङ्गस), लोक नाट्य: जट-जटिन (अनुसन्धान)।
सम्पादन: मैथिली पद्य संग्रह (नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान), लाबाक धान (कविता संग्रह)माथुरजीक त्रिशुली” खण्डकाव्य (कवि स्व. मथुरानन्द चौधरी माथुर), नेपालमे मैथिली पत्रकारितामैथिली लोक नृत्य: भावभंगिमा एवं स्वरूप (आलेख संग्रह)। गामघर साप्ताहिकक २६ वर्षसँ सम्पादन-प्रकाशन, “अर्चना” साहित्यिक संग्रहक 15वर्ष धरि सम्पादन-प्रकाशन।आँजुरमैथिली मासिकक सम्पादन प्रकाशन, “अंजुली” नेपाली मासिक/ पाक्षिकक सम्पादन प्रकाशन।
अनुवाद: भयो,अब भयो (नहि आब नहिक मनु ब्राजाकी द्वारा कयल नेपाली अनुवाद)
सम्मान: नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा पहिल बेर १९९५ ई.मे घोषित ५० हजार टाकाक मायादेवी प्रज्ञा पुरस्कारक पहिल प्राप्तकर्ता। प्रधानमंत्री द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान। विद्यापति सेवा संस्थान दरिभङ्गा द्वारा सम्मानितमैथिली साहित्य परिषदवीरगंज द्वारा सम्मानित, “आकृति” जनकपुर द्वारा सम्मानितदीर्घ पत्रकारिता सेवाक लेल नेपाल पत्रकार महासंघ धनुषा द्वारा सम्मानित,जिल्ला विकास समिति धनुषा द्वारा दीर्घ पत्रकारिता सेवाक लेल पुरस्कृत एवं सम्मानित,नेपाली मैथिली साहित्य परिषद द्वारा २०५९ सालक अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन मुम्वई द्वारा मिथिला रत्न” द्वारा सम्मानित,शेखर प्रकाशन पटनाद्वाराशेखर सम्मान”, मधुरिमा नेपाल (काठमाण्डौ) द्वारा २०६३ सालक मधुरिमा सम्मान प्राप्त। काठमाण्डूमे आयोजित सार्क स्तरीय कवि गोष्ठीमे मैथिली भाषाक प्रतिनिधित्
सामाजिक सेवा: अध्यक्ष-तराई जनजाति अध्ययन प्रतिष्ठान, जनकपुरअध्यक्ष-जनकपुर ललित कला प्रतिष्ठान, जनकपुरउपाध्यक्ष- मैथिली प्रज्ञा प्रतिष्ठान,  जनकपुर, उपकुलपति- मैथिली अकादमीनेपालउपाध्यक्ष- नेपाल मैथिली थाई सांस्कृतिक परिषदसचिव-दीनानाथ भगवती समाज कल्याण गुठीजनकपुरसदस्य- जिल्ला वाल कल्याण समितिधनुषासदस्य- मैथिली विकास कोषधनुषाराष्ट्रीय पार्षद- नेपाल पत्रकार महासंघ,धनुषा।

डॉ महेन्द्र नारायण राम (१९५८ )
मैथिलीमे एम.ए. आऽ पी.एच..डी.,नीलकमल नाट्य कला परिषदखुटौनाक संस्थापक,दीपायतनक मास्टर ट्रेनर, सम्पादन-नव ज्योति” पत्रिका, “लोकशक्ति” सामाजिक मुख-पत्रक। लोकवृत्त ताहूमे लोकगाथाक अध्येता। ओऽ अध्यक्ष मैथिली अकादमीबिहारक संग अनेक संस्थामे विभिन्न पदकेँ सुशोभित कएलनि। हिनका बिहार ग्रंथ अकादमी,पटनाराष्ट्रभाषा परिषद,पटनालोक साहित्यिक मंचपटनासाहित्यकार संसदसमस्तीपुर लोकभाषा साहित्य पुरस्कार सहित विभिन्न संस्थासँ कतिपय साहित्यिक सामाजिक सम्मान प्राप्त छनि। हिनकर प्रकाशनमे मैथिली लोक महागाथा: कारिख पजियार,कारिख-गीतावली,कारिख लोकगाथा,जागि गेल छीगहवर,सहलेस लोकगाथादीना भद्री लोकगाथा,रमणजी: ग्रामसभा से विधानसभा तक (हिन्दी) प्रमुख अछि।

डॉ. देवशंकर नवीन (१९६२- ),
ओ ना मा सी (गद्य-पद्य मिश्रित हिन्दी-मैथिलीक प्रारम्भिक सर्जना),चानन-काजर (मैथिली कविता संग्रह)आधुनिक (मैथिली) साहित्यक परिदृश्यगीतिकाव्य के रूप में विद्यापति पदावली,राजकमल चौधरी का रचनाकर्म (आलोचना),जमाना बदल गयासोना बाबू का यार,पहचान (हिन्दी कहानी), अभिधा (हिन्दी कविता-संग्रह),हाथी चलए बजार (कथा-संग्रह)।
सम्पादन: प्रतिनिधि कहानियाँ: राजकमल चौधरी,अग्निस्नान एवं अन्यउपन्यास (राजकमल चौधरी),पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ (राजकमल की कहानियाँ)विचित्रा (राजकमल चौधरी की अप्रकाशित कविताएँ)साँझक गाछ (राजकमल चौधरी की मैथिली कहानियाँ),राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहानियाँ,बन्द कमरे में कब्रगाह (राजकमल की कहानियाँ)शवयात्रा के बाद देहशुद्धि,ऑडिट रिपोर्ट (राजकमल चौधरी की कविताएँ),बर्फ और सफेद कब्र पर एक फूल,उत्तर आधुनिकता कुछ विचारसद्भाव मिशन (पत्रिका)क किछि अंकक सम्पादन,उदाहरण (मैथिली कथा संग्रह संपादन)।

तारानन्द वियोगी (१९६६),
महिषी,सहरसामे जन्म। मैथिलीक समर्थ कवि,कथाकार आऽ समालोचक। पिता श्री बद्री महतो,माता श्रीमति बदामी देवी। संस्कृत साहित्यमे आचार्य,एम.ए.,पी.एच.डी. आदि कयलाक बाद केन्द्रीय विद्यालयमे अध्यापक भेलाह। सम्प्रति बिहार प्राशासनिक सेवामे छथि। १९७९ ई.मे पहिल रचनामिथिला मिहिर” मे प्रकाशित भेलन्हि। ताहिसँ पहिने संगी लोकनि हिनकर एकटा कविता संग्रह छापि चुकल छलाह। पहिल पोथी अपन युद्धक साक्ष्य (गजल संग्रह) १९९१ मे प्रकाशित। अन्य पुस्तक हस्तक्षेप (कविता-संग्रह),अतिक्रमण (कथा-संग्रह), शिलालेख (लघुकथा संग्रह)कर्मधारय। रमेशक संग राजकमल चौधरीक कथाकृति एकटा चंपाकली एकटा विषधर कऽ संपादन कयलनि। स्वातन्त्र्योत्तर मैथिली कथा संग्रह देसिल बयनाक संपादन। कहियो काल हिन्दीमे लिखैत छथि। अपन हिन्दी कविताक लेल वर्ष १९९५ मे मुक्तिबोध पुरस्कारसँ सम्मानित। मैथिलीक श्रेष्ठ साहित्यकेँ राष्ट्रीय धरातलपर अनूदित-प्रसारित करबामे विशेष रुचि। पं. गोविन्द झाक महत्वपूर्ण उपन्यास भनहि विद्यापति तथा मैथिली की प्रतिनिधि कहानियाँ अनूदित-संपादित। किछु रचना बंगला, तेलुगुअंग्रेजीमे अनूदित भेलनि अछि।

डॉ कैलास कुमार मिश्र (८ फरबरी १९६७- )
दिल्ली विश्वविद्यालयसँ एम.एस.सी.,एम.फिल., “मैथिली फॉकलोर स्ट्रक्चर एण्ड कॊग्निशन ऑफ द फॉकसांग्स ऑफ मिथिला:एन एनेलिटिकल स्टडी ऑफ एन्थ्रोपोलोजी ऑफ म्युजिक” पर पी.एच.डी.। मानव अधिकार मे स्नातकोत्तर, ४०० सँ बेशी प्रबन्ध-अंग्रेजी-हिन्दी आऽ मैथिली भाषामे-फॉकलोरएन्थ्रोपोलोजीकला-इतिहासयात्रावृत्तांत आऽ साहित्य विषयपर जर्नल,पत्रिकासमाचारपत्र आऽ सम्पादित-ग्रन्थ सभमे प्रकाशित। भारतक लगभग सभ सांस्कृतिक क्षेत्रमे भ्रमणएखन उत्तर-पूर्वमे मौखिक आऽ लोक संस्कृतिक सर्वांगीन पक्ष पर गहन रूपसँ कार्यरत। यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का,यू.एस.ए. केर फॉकलोर ऑफ इण्डिया” विषयक रेफ़ेरी। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालयक पुरस्कारक रेफरी सेहो। सय सँ ऊपर सेमीनार आऽ वर्कशॉपक संचालनबहु-विषयक राष्ट्रीय आऽ अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठीमे सहभागिता। मैथिलीक लोकगीतमैथिलीक डहकनविद्यापति-गीतमधुपजीक गीत सभक अंग्रेजीमे अनुवाद।

चन्दा झा (१८३१-१९०७),
मूलनाम चन्द्रनाथ झा,ग्राम- पिण्डारुछ,दरभंगा। कवीश्वर, कविचन्द्र नामसँ विभूषित। ग्रिएर्सनकेँ मैथिलीक प्रसंगमे मुख्य सहायता केनिहार।
कृति- मिथिला भाषा रामायणगीति-सुधा,महेशवाणी संग्रहचन्द्र पदावलीलक्ष्मीश्वर विलास,अहिल्याचरित आऽ विद्यापति रचित संस्कृत पुरुष-परीक्षाक गद्य-पद्यमय अनुवाद।

सर्वतंत्र स्वतंत्र श्री धर्मदत्त झा (बच्चा झा) 
(1860ई.-1918ई.)
मिथिला आसंस्कृत स्तंभमे एहि अंकमे सर्वतंत्र स्वतंत्र श्री धर्मदत्त झा जिनकर प्रसिद्धि बच्चा झाक नामसँ बेशी छन्हि,केर जीवनी दरहल छी।
मधुबनी जिलांतर्गत लवाणी(नवानी) गाममे हिनकर जन्म भेलन्हि। वाराणसीमे श्री विशुद्धानन्द सरस्वती आ’ बालशास्त्रीसँ शिक्षा ग्रहण करबाक बाद गाम आबि गेलाह आ’ शारदा भवन विद्यापीठक स्थापना गामेमे कएलन्हि। गुरुकुल पद्धति सँ एतय संन्यासी आगृहस्थ शिक्षा ग्रहण करैत छलाह। विद्यार्थीगणक खर्चा गुरुजी उठबैत रहलाह। द्वारकाक शंकराचार्य हिनका आमंत्रित कए नव्यन्यायक अध्ययन कएलन्हि। आस्तिक आनास्तिक आ’ नव्यन्यायक विद्वत्तक दृष्टिये हिनका सर्वतंत्र स्वतंत्रक उपाधिदेल गेलन्हि। हिनका बच्चामे लोक बच्चा झा कहैत छलन्हि,ईएह नाम धर्मदत्त झाक अपेक्षा बेशी प्रचलित रहल। हिनक कृति सभ अछि।1.सुलोचन-माधव चम्पू काव्य, 2.न्यायवार्त्तिक तात्पर्य व्याख्यान, 3.गूढ़ार्थ तत्त्वलोक (श्रीमद भागवतगीता व्याख्याभूत मधुसूदनी टीकापर) 4.व्याप्तिपंचक टीका 5.अवच्छदकत्व निरुक्त्ति विवेचन 6.सव्यभिचार टिप्पण 7.सतप्रतिपक्ष टिप्पण 8.व्याप्तनुगन विवेचन 9.सिद्धांत लक्षण विवेक 10.व्युत्पत्तिवाद गूढार्थ तत्वालोक 11. शक्त्तिवाद टिप्पण 12.खण्डन-ख़ण्ड खाद्य टिप्पण 13.अद्वैत सिद्धि चन्द्रिकाटिप्पण 14.कुकुकाञ्जलि प्रकाश टिप्पण.

पं. रत्नपाणि झाक पुत्र केँ बच्चा झाकेँ अपर गङ्गेश उपाध्याय सेहो कहल जाइत अछि। हिनकर प्रारम्भिक अध्ययन गामे पर भेलन्हि। तकरा बाद ओविश्वनाथ झासँ अध्ययनक हेतु ठाढ़ीगाम चलि गेलाह। फेर बबुजन झा आऋद्धि झासँ न्यायदर्शनक विधिवत अध्ययन कएलन्हि। फेर धर्मदत्त झा प्रसिद्ध बच्चा झा काशी गेलाह। ओतय स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वतीसँ मीमांसावेदान्तक अध्ययन कएलन्हि।

सन्1886ई. केर गप छी। एकटा पुष्करिणीक उद्घाटनक उत्सवमे दामोदर शास्त्रीजी काशीसँ मिथिलाक राघोपुर ग्राममे निमंत्रित भेल छलाह। ओतय हुनकर शास्त्रार्थ परम्परानुसार बच्चा झाक विद्यागुरु ऋद्धि झासँ भेल छलन्हि। एहिमे ऋद्धि झा परास्त भेल छलाह। गुरुक पराजयक प्रतिशोध लेबाक हेतु सन् 1889मे बच्चा झा काशी गेलाह। बच्चा झाक उम्र ओहि समयमे 29वर्ष मात्र छलन्हि। ओप्रायः दामोदर शास्त्रीकेँ लक्ष्य करैत छलाह,जे काशीक वैय्याकरणिक पण्डित लोकनिकेँ शब्द-खण्डक कोनो ज्ञान नहि छन्हि। बच्चा झा समस्त काशीक विद्वान् लोकनिकेँ शास्त्रार्थक हेतु ललकारा देलन्हि। दामोदर शास्त्रीसँ भेल शास्त्रार्थक वर्णन पछिला अंकमे कएल जाचुकल अछि। शास्त्रार्थ तीन दिन धरि चलल। ईशास्त्रार्थ सन्ध्यासँ शुरू होइत छल,मध्य रात्रि धरि चलैत छल। शास्त्रार्थक तेसर दिन दामोदर शास्त्री तर्क कएनाइ बन्न कए देलन्हि,श्रोताक रूपमे बच्चा झाक तर्क सुनैत रहलाह। पं शिवकुमार शास्त्री आकैलाशचन्द्र शिरोमणि दू टा निर्णायक छलाह। शिरोमणिजीक दृष्टिमे वादी श्री बच्चा झाक पक्ष न्यायशास्त्रक दृष्टिसँ समुचित छल। शिव कुमारजीक सम्मतिमे प्रतिवादी श्री दामोदर शास्त्रीक पक्ष व्याकरणक मंतव्यानुसार औचित्य सम्पन्न छलन्हि। दुनू पण्डितक शास्त्रार्थ कलाक संस्तुति कएल गेल आदुनू गोटेकेँ अपन सिद्धान्तक उत्कृष्ट व्यवस्थापनक लेल विजयी मानल गेल।
बच्चा झा गामेमे रहि कए अध्यापन करैत छलाह। मुदा महाराजाधिराज दरभंगा नरेश श्री रमेश्वरसिंहक अकाट्य आग्रहक कारणसँ मुजफ्फरपुरक धर्म समाज संस्कृत कॉलेजक प्रधानाचार्यक पद स्वीकार कएलन्हि मुदा एकर एकहि वर्षमे ओ’ शरीर त्याग कए देलन्हि। बच्चा झाजीकेँ समालोचकगण किछु उदण्ड आअभिमानी मनबाक गलती करैत रहलाह अछि। मुदा ई गलत सिद्ध होइत अछि।

म.म. शंकर मिश्र
पन्द्रहम शताब्दीमे भवनाथ मिश्रक घरमे मधुबनी जिलाक सरिसव ग्राममे शंकर मिश्रक जन्म भेल। भवनाथ मिश्र बहुत पैघ नैय्यायिक छलाह आऽ कहियो ककरोसँ कोनो वस्तुक याचनानहि कएलन्हि,ताहि लेल सभ हुनका अयाची मिश्र कहए लगलन्हि। शँकर मिश्र पितासँ अध्ययन प्राप्त कएलन्हि आऽ पैघ भाए जीवनाथ मिश्र सँ विद्याक अधिग्रहण कएलन्हि।

शंकर मिश्र कवि,नाटककार,धर्मशास्त्री आऽ न्याय-वैशेषिक केर व्याक्याकार रहथि।

शंकर मिश्र ग्रंथावली-
१. गौरी दिगम्बर प्रहसन          २.कृष्ण विनोदनाटक
३.मनोभव पराभव नाटक         ४.रसार्णव
५.दुर्गा-टीका                          ६.वादिविनोद
७.वैशेषिक सूत्र पर उपस्कार     ८.कुसुमांजलिपर आमोद
९.खण्डनखण्ड-खाद्य टीका       १०.छन्दोगाह्निकोद्धार        
११.श्राद्ध प्रदीप                       १२.प्रायश्चित प्रदीप।

अंतिम तीनू टा ग्रन्थ धर्मशास्त्र पर लिखल गेल आऽ क्रमसँ सामवेदक अनुसारे दैनिक धार्मिक कृत्यक नियमावलीश्राद्ध कर्म आऽ प्रायश्चितिक अनुष्ठानसँ संबंधित अछि। शंकर मिश्रसँ संबंधित बहुत रास जनश्रुति प्रसिद्ध अछि। अयाची वृद्ध भए गेल छलाह,परन्तु पुत्रविहीन रहथि। पत्नी भवानी दुःखसँ काँट भए गेल छलीह। तखन अयाची मिश्र बाबा वैद्यनाथसँ पुत्रक याचना कएलन्हि आऽ हुनकर मनोकामना पूर्ण भेलन्हि-स्वयं शंकर भगवान अवतरित भेलाह आऽ ताहि द्वारे बालकक नाम शंकर पड़ल। जन्म पर गामक आया किंवा चमैनइ नाम मँगलखिन्हमुदा परिवारक लगमे किछु नहि छल आऽ ताहि हेतु भवानी वचन देलखिन्ह जे बालकक प्रथम कमाइ अहाँकेँ दए देब। से जखन एक बेर राजा शिव सिंह खुशी भए बालककें कहलखिन्ह जे अहाँ जतेक सोना-चाँदी लए जा सकी लए जाऊ। बालक मात्र धरिया पहिरने छलाहतेँ मात्र किछु सोनाक छड़ लए जाऽ सकलाह,आऽ सेहो भवानी अपन वचनक अनुरूपें आया-चमैनकेँ दए देलखिन्ह। चमैनओहि पाइसँ एकटा पोखरि सरिसवमे खुन बएलन्हि,जे चमनियाँ पोख्रिक नामसँ एखनो विद्यमान अछि।

श्रीकर
श्रीकर प्रथम मैथिल निबन्धकार छलाह। विज्ञानेश्वर,  हरिनाथजीमूतवाहन चण्डेश्वर ठाकुर ई सभ श्रीकरक विचारक उल्लेख कएने छथि। श्रीकर एहि हिसाबसँ सातम शताब्दीक बुझना जाइत छथि।
श्रीकर याज्ञवल्क्य आऽ लक्ष्मीधरक बीचक सूत्र छथि। ओऽ कल्पतरु लिखलन्हिजाहिमे 14 भाग छल,मुदा हुनकर कोनो कार्य एखन उपलब्ध नहि अछि।
श्रीकरक अनुसार आध्यात्मिक लाभ उत्तराधिकारक लेल आवश्यक अछि। चण्देश्वर ठाकुर अपन राजनीति रत्नाकरमे श्रीकरक सिद्धांत ई सिद्धांत रखने छथिजे गरीबक अधिकार राजा आऽ राज्यक सम्पत्तिमे छैक।

लक्ष्मीधर
कृत्यकल्पतरुक लेखक लक्ष्मीधर भट्ट हृदयधरक पुत्र छलाह। हुनकर पिता राजा गोविन्दचन्द्रक दरबारमे शान्ति आऽ युद्धक मंत्री छलाह। लक्ष्मीधर मीमांसक छलाह। चण्डेश्वर,वाचस्पति आऽ रुद्रधर अपन-अपन रचनामे लक्ष्मीधरक उद्धरण प्रचुर मात्रामे देने छथि। लक्ष्मीधर एगारहम शताब्दीक दोसर भाग आऽ बारहम शताब्दीक पहिल भागमे अवतरित भेल छलाह।
लक्ष्मीधरक कृत्यकल्पतरु महाभारतक एक तिहाइ आकारक अछि आऽ जीवन जीबाक कला आऽ निअमक वर्णन करैत अछि। मैथिल-स्मृतिशास्त्रक ई श्रेष्ठतम योगदान अछि। चण्डेश्वरक विवाद रत्नाकर पूर्ण रूपसँ कृत्य कल्पतरु पर आधारित अछिविद्यापतिक विभागसार सेहो कल्पतरुक विषयसूचीक प्रयोग करैत अछि।
लक्ष्मीधर राजाक दैविक उत्पत्तिमे विश्वास नहि करैत छथि। राजा जनताक ट्रस्टी अछिन्यायी अछि आऽ धर्मक अनुसार कार्य करैत अछि। मुदा राजाकेँ धार्मिक-कानून बदलबाक कोनो अधिकार नहि छल। सर्वभौमिकताक अभिषेकक बाद राजाक शिक्षा-दीक्षा आऽ जनताक प्रति आदर पर ओऽ बहुत जोड़ देलन्हि। लक्ष्मीधर राज कर्मचारीक आचार-संहितापर बड़ जोर दैत छथि।दुर्गक विवरण ओऽ राजमहल आऽ किलाक रूपमे करैत छथि।

हरिनाथ (१३००-१४०० ई.)
हरिनाथ गंगौर मूलक मैथिल ब्राह्मणक छलाह आऽ हुनकर पौत्र शिवनाथक विवाह पाली मूलक ज्योतिरीश्वर ठाकुरक पुत्रीसँ भेल छलन्हि। हिनकर विवाह गलतीसँ अपन पुरखाक वंशजसँ भऽगेलन्हिताहि द्वारे हरसिंहदेव पञ्जी व्यवस्थाक प्रारम्भ केलन्हि।
हरिनाथ स्मृतिसार लिखलन्हि,जे धर्मशास्त्रक विभिन्न अध्याय पर आधारित छल। हरिनाथ संस्कारक भेद करैत छथि। आचार खण्डमे संस्कारक अतिरिक्त आह्निका- द्विजक नित्यकर्म,श्राद्ध आऽ प्रायश्चितक विवरण अछि।
विवादव्यवहार आऽ उत्तराधिकार पर सेहो हरिनाथ लिखने छथि। ज्येष्ठ पुत्रकेँ जेठांशस्त्रीधन,पुत्रक विभिन्न प्रकार, विभिन्न प्रकारक दण्ड इत्यादिक वर्णन हरिनाथ कएने छथि। विधिमे कोना कम्प्लेन फाइल करीओकर उत्तर,न्याय आऽ न्यायक आधार आऽ न्यायक पुनरीक्षण,एहि सभक चरचा अछि। विवादक 18 टा प्रकार आऽ सिविल आऽ आपराधिक विधि जे न्यायालयमे अपनाओल जाइत अछि,तकर विवरण हरिनाथ देने छथि।

डॉ विजयकांत मिश्रा
जन्म १० अगस्त १९२७
डॉ. विजयकांत मिश्रक जन्म मंगरौनी (जिला मधुबनी) गाम-जे नव्य न्याय आ तांत्रिक साधनाक जन्म-स्थली अछि, मे भेलन्हि।
ओ 1948मे प्राचीन भारतीय इतिहास आ संस्कृति विषयमे एलाहाबाद विश्वविद्यालय सँ सनात्तकोत्तर उपाधि कएलाक बाद कतेक बरख धरि बिहार सरकार आ पटना विश्वद्यालयसँ सम्बद्ध रहलाह आ 1957 सँ भारतीय पुरात्तत्व विभागमे काज कएलन्हि आ ओकर शिशुपालगढ़, कौशाम्बी,  वैशाली,  हस्तिनापुर,  कुम्हरारपाटलिपुत्र,  करियनसोनपुर, बिलावली, नालन्दाराजगीरचन्द्रवल्ली आ हम्पी खुदाइमे विभिना भूमिकामे भाग लेलन्हि। 
हिनकर लिखल-सम्पादित पोथी सभमे अछि:
1. वैशाली,1950
2. कुम्हरार एक्सकेवेशंस:1950-1957
3. पुरातत्व की दृष्टि मे वैशाली
4. नागेश भट्टाज पारिभाषेन्दुशेखर
5. मिथिला आर्ट एण्ड आर्किटेक्चर (सम्पादित)
6. कल्चरल हेरिटेज ऑफ मिथिला
7. श्रृंगार भजनावली- एक अध्ययन
8. क्षेत्र पुरातत्व विज्ञान 
9. पुरातत्व शब्दावली

 स्व. अनिलचन्द्र ठाकुर
जन्म 13 सितम्बर1954ई.केँ कटिहार जिलाक समेली गाममे भेलन्हि।1982ई.मे हिन्दी साहित्यमे स्नातकोत्तर केलाक बाद नवम्बर'93 सँ नवम्बर'94धरि "सुबह" हस्तलिखित पत्रिकाक सम्पादन-प्रकाशन कएलन्हिआ कोशी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मे अधिकारी रहथि। मैथिलीअंगिका,हिन्दी आ अंग्रेजीमे समान रूपेँ लेखन।
मृत्युक पूर्व ब्रेन ट्यूमरसँ बीमार चलि रहल छलाह।
प्रकाशित कृति:
आब मानि जाउ (मैथिली उपन्यास)- पहिने भारती-मंडन पत्रिकामे प्रकाशित भेल
कच (अंगिकाक पहिल खण्ड काव्य,1975)
एक और राम (हिन्दी नाटक,1981)
एक घर सड़क पर (हिन्दी उपन्यास, 1982)
द पपेट्स (अंग्रेजी उपन्यास, 1990)
अनत कहाँ सुख पावै (हिन्दी कहानी संग्रह,2007)
आब मानि जाउ (मैथिली उपन्यास)- एहि उपन्यासमे एक एहन युवतीक संघर्ष-गाथा अंकित अछिजे अपन लगनसँ जीवन बदलैत अछि। असंख्य गामक ई कथाकुलीनताक अधः पतनक कथा,संस्कार विहीनताक उद्घाटन आ भविष्यक पीढ़ीकेँ बचएबाक चेतौनी छी ई कथा।

डा. रमानन्द झारमण
जन्म:02जनबरी,1949,शिक्षा-एम.ए.,पीएच.डी.,आजीविका-भारतीय रिजर्व बैंक,पटना (सेवानिवृत्त)।
प्रकाशन: मौलिक- समीक्षा1.नवीन मैथिली कविता,1982, 2.मैथिली नऽव कविता, 1993, 3.मैथिली साहित्य ओ राजनीति, 1994, 4.अखियासल, 1995, 5.बेसाहल, 2003, 6.भजारल, 2005, 7.निर्यात कैसे शुरू करें? हिन्दी- रिजर्व बैंक,पटनाक प्रकाशन सम्पादित 8.मैथिलीक आरम्भिक कथा,1978 समीक्षा, 9.श्यामानन्द रचनावली, 1981, 10.जनार्दन झा जनसीदनकृत निर्दयीसासु (1914) आ पुनर्विवाह (1926), 1984, 11.चेतनाथ झा कृत श्रीजगन्नाथपुरी यात्रा (1910), 1994, 12.तेजनाथ झा कृत सुरराज विजय नाटक (1919), 1994, 13.रासबिहारी लाल दासकृत सुमति (1918), 1996, 14.जीबछ मिश्रकृत रामेश्वर (1916), 1996,15.भेटघॉंट (भेटवार्ता), 1998, 16.रूचय तँ सत्य ने तँ फूसि, 1998, 17.पुण्यानन्द झाकृत मिथिला दर्पण (1925), 2003, 18.यदुवर रचनावली (1888-1934)2003, 19.श्रीवल्लभ झा (1905-1940) कृत विद्यापति विवरण, 2005, 20.मैथिली उपन्यासमे चित्रित समाज, 2003, 21.पण्डित गोविन्द झाः अर्चा ओ चर्चा,1997 प्रबन्ध सम्पादक, 22.कवीश्वर चेतना, 2008, चेतना समिति,पटना अनुवाद 23.मौलियरक दू नाटक, 1991,साहित्य अकादमी, 24.छओ बिगहा आठ कटठा, 1999,साहित्य अकादमी, 25.मानवाधिकार घोषणा Universal Declaration of Human Rights 2007 (यूनेसको), 26.राजू आटाकाक गाछ, 2008 रिजर्व बेंक- वित्तीय शिक्षा योजना के अन्तर्गत पत्रिका सम्पादन-सह-सम्पादन1.प्रयोजन, 1993 (मासिक), 2. कोषाक्षर  (हिन्दी)1982, 3.घर बाहरत्रैमासिक,चेतना समिति,पटना कार्यशाला 1.National Workshop on Literary Translation,-Dec 20.1991 to January 12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi. Bonds Beyond the Borders (India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) -Consulate General of India, Birgunj, Nepal and B.P. Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28, 2062. Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th International Maithili Drama Festival, 1992 -Biratnagar, Nepal
पुरस्कार-सम्मान:1.जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार, 1994-95, राजभाषा विभागबिहार सरकार,मैथिली नऽव कविता पुस्तक पर, 2.भाषा भारती सम्मान, 2004-05 छओ बिगहा आठ कटठा, (अनुवाद) CIIL,मैसूर।

राजेन्द्र विमल
चामत्कारिक लेखन-प्रतिभाक स्वामी राजेन्द्र विमल नेपालक मैथिली साहित्यक एक स्तम्भ छथि। मैथिली,नेपाली आ हिन्दी भाषाक प्राज्ञ विमल शिक्षाक हकमे विद्यावारिधि (पी.एच.डी.) क उपाधि प्राप्त कएने छथि। सुललित शब्द चयन एवं भाषामे प्राञ्जलता डा. विमलक लेखनक विशेषता रहलनि अछि। अपन सिद्धहस्त लेखनसँ ई कोनहु पाठकक हृदयमे स्थान बना लैतछथि। कथा आ समालोचनाक सङ्गहि मर्मभेदी गीत गजल लिखबामे प्रवीण डा. विमलक निबन्ध,अनुवाद आदि सेहो विलक्षण होइत छनि। कम्मो लिखिकऽ यथेष्ट यश अरजनिहार डा. विमलक लेखनीक प्रशंसा मैथिलीक सङ्ग संग नेपाली आ हिन्दी साहित्यमे सेहो होइत रहलनि अछि। खासकऽ मानवीय संवेदनाक अभिव्यक्तिमे हिनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अछि। त्रिभुवन विश्वविद्यालय अन्तर्गत रा.रा.ब. कैम्पस,जनकपुरधाममे प्राध्यापन कएनिहार डा. विमलक पूर्ण नाम राजेन्द्र लाभ छियनि। हिनक जन्म २६ जुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अछि। साहित्यकारक नव पीढ़ीकेँ निरन्तर उत्प्रेरित करबाक कारणे ई डा.धीरेन्द्रक बाद जनकपुर-परिसरक साहित्यिक गुरुक रूपमे स्थापित भऽ गेल छथि। जनकपुरधामक देवी चौक स्थित हिनक घर सदति साहित्यक जिज्ञासु सभक अखाड़ा जकाँ बनल रहैत अछि।

डॉ मित्रनाथ झा (१९५६-)
पिता स्वनाम धन्य मिथिला चित्रकार स्व. लक्ष्मीनाथ झा प्रसिद्ध खोखा बाबू,ग्राम-सरिसबपोस्ट सरिसब-पाहीभाया-मनीगाछीजिला-मधुबनीसम्प्रति मिथिला शोध संस्थान, दरिभङ्गामे पाण्डुलिपि विभागाध्यक्ष ओ एम.ए. (संस्कृत) कक्षाक शिक्षार्थीकेँ एम.ए. पाठ्यक्रमक सभ पत्रक अध्यापन। लेखनउच्चस्तरीय शोध ओ समाज- सेवामे रुचि। संस्कृत, मैथिलीहिन्दीअंग्रेजीभोजपुरी ओ उर्दू भाषामे गद्य-पद्य लेखन। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुप्रतिष्ठित अनेकानेक पत्र-पत्रिकाअभिनन्दन-ग्रन्थ ओ स्मृति-ग्रन्थादि मे अनेक रचना प्रकाशित। राष्ट्रीय ओ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर आयोजित अनेक सेमिनारकॉनफेरेन्सवर्कशॉप आदिमे सक्रिय सहभागिता।

काशीकान्त मिश्र "मधुप"(1906-1987)
राधाविरह’ (महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक प्रशस्त कवि आ मैथिलीक प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि। प्रकृति प्रेमक विलक्षण कवि।घसल अठन्नी' कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना, दुनू स्तर पर चरम लोकप्रियता भेटलनि।
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