कवि कोकिल महाकवि विद्यापति

Vidyapati in Postal Ticket
महाकविक सम्मान में जारी डाक टिकट

विद्यापतिक एकटा पदसँ ज्ञात होइत अछि कि लक्ष्मण संवत्
  293 अर्थात् 1402 मे देवसिंहक मृत्यु भेल आ राजा शिवसिंह मिथिला नरेश बनलाह। मिथिलामें प्रचलित किंवदन्तिक अनुसार ओहि समय राजा शिवसिंहक उम्र 50 वर्ष छलैन आ कवि विद्यापति हुनका सँ दू बरख पैघि अर्थात 52 बरखक छलाह विद्यापति। एहि प्रकारे 1402 मे सँ 52 घटेला पर 1350 बचैत अछि। एहि आधार पर विद्यापतिक जन्म 1350 मानल जा सकैत अछि। परन्तु लक्ष्मण संवत​क प्रवर्तन तिथिक संबंधमे विवाद अछि। किछु लोक  1109 आ किछु 1119 सँ एकर प्रारंभ मानैत छथि। स्व0  नगेन्द्रनाथ गुप्त लक्ष्मण संवत् 293 क 1412 ई मानि विद्यापतिक जन्म 1360 0 मानैत छथि। ग्रिपर्सन आ महामहोपाध्याय उमेश मिश्र सहो एकर समर्थन करैत छथि। मुदा ब्रजनन्दन सहाय ब्रजवल्लभ’, रामवृक्ष बेनीपुरी, डा0 सुभद्र झा आदि सन् 1350 हुनक जन्मक वर्ष मानैत छैथ। डा0 शिवप्रसाद विद्यापतिक जन्म सन् 1374 क आसपास हेवाक संभावना मानैत छथि। अपन ग्रंथ विद्यापति की भूमिका मे एक तरफ डा0 विमानबिहारी मजुमदार लिखैत छैथ की "ह निश्चिततापूर्वक नहीं जाना जाता है कि विद्यापति का जन्म कब हुआ था और वे कितने दिन जीते रहे" आ दोसर तरफ हुनक अनुमान छैय की सन् 1380 क आसपास हुनक जन्म भेल।

महाकवि विद्यापति ठाकुरक पारिवारिक जीवनक कोनो स्वलिखित प्रमाण नही अछि। मुदा मिथिला उतेढ़पोथी सँ ज्ञात होइत छैय की हिनक दूटा विवाह भेल रहैय। पहिल पत्नी सँ नरपति आ हरपति नामक दुटा पुत्र आ दोसर पत्नी सँ एकटा पुत्र वाचस्पति ठाकुर आ एक पुत्रीक जन्म भेल। संभवतः विद्यापतिक इहै पुत्री दुल्लहि नामक छल जकर मृत्युकालमें रचित एकटा गीत महाकवि के अमर क देलक।

1394-96क बीच कएल पदक समर्पण गयासौद्दीन आजम शाह आ नसरत शाहकेँ कएल गेल अछि।

देव सिंहक आदेश सँ 1400 मे ई 'भू-परिक्रमा' लिखलन्हि।1402-04 क बीच कीर्तिलताक रचना कीर्ति सिंहक राज्य कालमे कएलन्हि।

1409-1415 बीच कीर्तिपताकाक रचना। पूर्वार्ध 1409  मे हरि केलि अर्जुनसिंहक कीर्तिगाथासँ सम्बन्धित अछि आ उत्तरार्ध 1415क आसपासमे शिवसिंहक युद्ध आ तिरोधान सँ सम्बद्ध अछि।

विद्यापति जीक आदेशसँ 1410 मे काव्य प्रकाश विवेक क' प्रतिलिपि बनाओल गेल। 1410 मे शिवसिंहक राज्यारोहण भेल आ एहि उपलक्ष्यमे विद्यापतिकेँ बिसपीक दानपत्र प्रदान कएल गेल। शिवसिंहक राज्यकाल 1410-14 धरि रहल आ एहि अवधिमे गोरक्ष विजय नाटक पुरुष-परीक्षा आ मैथिली पदावलीक अधिकांश भागक रचना भेल।1416क आसपास पुरादित्यक आदेशसँ लिखनावलीक निर्माण भेल। 1428 मे भागवत पुराणक विद्यापति लिखित प्रतिलिपि पूर्ण भेल।

1427-1439 ई. मे पद्म सिंहक महारानी विश्वास देवी क आदेशसँ शैवसर्वस्वसारए शैव सर्वस्वसार प्रमाण भूत संग्रह आ गंगा वाक्यावलीक रचना। 1453-60 . क बीच राजा नरसिंह दर्पनारायण आ रानी धीरिमतिक समयमे विभागसार व्याडिभक्ति तरंगिणी आ दानवाक्यावलीक रचना भेल।

1455 . क भैरव सिंहक अनुज्ञासँ 'दुर्गाभक्ति तरंगिणी'क रचना भेल आ 1461 . मे श्री रूपधर हिनकासँ छात्र रूपमे अध्ययन कएलन्हि।

महाकवि विद्यापतिक देहांतक सम्बन्ध मे सेह़ो विद्वानक बीच मतभेद अछि। नागेन्द्रनाथ गुप्त 1440 मे महाकवि के मृत्यु तिथि वर्ष मानैत छथि। डॉ0 सुभद्र झाक अनुसार- विश्वस्त अभिलेखक आधार पर हम ई कहबाक स्थिति मेछी कि हमर कवि के मृत्यु समय 1352  1448 . के मध्यक छय। 1448 . के बादक व्यक्ति सभक साथ जे विद्यापतिक सम सामयिकताक जोड़ि देल जाइत छय ओ वह सर्वथा भ्रामक अछि। डॉ0 विमान बिहारी मजुमदार सन् 1460 . के बाद ही महाकवि का विरोधाकाल मानते हैं। डॉ0 शिवप्रसाद सिंह विद्यापतिक मृत्युकाल 1447 मानैत छथि। परन्तु ई स्पष्ट अछि आ विभिन्न जनश्रुति अछि की आधुनिक बेगूसराय ज़िलाक मउ बाजिदपुरक विद्यापतिनगर निकट गंगाक तट पर महाकवि अपन प्राण त्याग केने रहैत। हुनक मृत्युक सम्बन्ध मे ई पद जनसाधारण मे प्रचलित अछिकि-
विद्यापतिक आयु अवसान,
कातिक धवल त्रयोदसि जान

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