महेन्द्र मलंगिया- मैथिलीक सुपरिचित नाटककार आ रंग निर्देशक

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Mahendra Malangia

मैथिली भाषाक सर्वकालीन महानतम नाटककारमे सं एक 
श्री महेन्द्र मलंगिया 



संछिप्त परिचय -
नाम- महेंद्र झा/महेंद्र मलंगिया
जन्म- 20 जनवरी 1946
जन्म स्थान- ग्राम-मलंगिया जिला-मधुबनी बिहार 
शिक्षा- एम.ए, बी.एड
पिता- स्व० देवनंदन झा 
माता- स्व० पूर्णिमा देवी
पत्नी-श्रीमती हीरा देवी 
परिवार- दुटा पुत्र आ चारि पुत्री 
सम्मानउपाधि आ पुरस्कार:
2006 (सीनियर फ़ेलोमानव ससाधन विकास विभाग, भारत सरकार)नेपाल संगीत नाटक सम्मान 2016, 2005 मे मैथिली भाषाक सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रबोध सम्मान, उनाप सम्मानपरवाहा (उवा नाट्य परिषद, परवाहा), भानुकला पुरस्कार (कला जानकी संस्थान, जनकपुर), 2004-.पाटलिपुत्र पुरस्कार (प्रांगन थिएटर, पटना)इप्टा पुरस्कार (कटिहार इप्टाकटिहार), 2003-गोपीनाथ आर्यल पुरस्कार (इन्टरनेशनल थिएटर इन्स्टीट्यूट, नेपाल)यात्री चेतना पुरस्कार (चेतना समिति, पटना), बैद्यनाथ सियादेवी पुरस्कार (बी.एस.डी.पी. काठमाण्डू), मधुबनी इप्टा सम्मान सह अभिनन्दन समारोह, 2000- चेतना समिति सम्मान (चेतना समितिपटना)जिला विकास धनुषा साहित्य पुरस्कार (जिला विकास समिति, जनकपुर), 1999-विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान (विद्यापति सेवा संस्थान सम्मान,  दरभंगा), 1998- रंग रत्न उपाधि (अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली साहित्य परिषदराँची), 1997-सर्वोत्तम निर्देशक पुरस्कार (सांस्कृतिक संस्थान, काठमाण्डू), 1991-भानुकला पुरस्कार, विराटनगर (भानु कला परिषद, बिराटनगर), 1990- सर्वनाम पुरस्कार (सर्वनाम समिति, काठमाण्डू), 1985-आरोहण सम्मान, काठमाण्डू, 1983- वैदेही पुरस्कार (विद्यापति स्मारक समितिराँची),

शोध कार्य:
सलहेस: एकटा ऐतिहासिक अध्ययनविरहा: मिथिलाक एकटा लोकरूपसामा चकेबा: लोकनाट्यक एक अवलोकन, सलहेसक काल निर्धारणविद्यापतिक उगना, शिवक गण, मधुबनी एकटा नगर अछि, हम जनकपुर छीई जनकपुर अछि। हिनकर दू टा पोथी ओकरा आँगनक बारहमासा  काठक लोक” ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगाक मैथिली पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर दू टा पोथी त्रिभुवन विश्वविद्यालयकाठमाण्डू केर एम.ए. पाठ्यक्रममे अछि। हिनकर कैकटा आलेख आ किताब सेकेण्डरी आ हायर सेकेण्डरी पाठ्यक्रममे अछि।

प्रकाशित पोथी:

नाटक: ओकरा आँगनक बारहमासाजुआयल कंकनीगाम नञि सुतयकाठक लोकओरिजनल कामराजा सलहेस, कमला कातक रामलक्ष्मण आ सीता, लक्ष्मण रेखाखण्डित, एक कमलनोरमेपूष जाड़कि माघ जाड़, खिच्चड़ि, छुतहा घैलओ खाली मुँह देखैछै।

एकाङ्की: टूटलतागक एकटा ओरलेवराह आन्हरमे एकटा इजोतगोनूक गबाहहमरो जे साम्ब भैया, “बिरजूबिलटू आओर बाबू”, मामा सावधानदेहपर कोठी खसा दिअ, नसबन्दीआलूक बोरीभूतहा घरप्रेत चाहे असौच, फोनक  करामातएकटा बताहि आयल छलयमालिक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकानफगुआ आयोजन आ भाषण, भूतएक टुकड़ा पापमुहक कातप्राण बचाबह सीतारामओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मंचित भऽ चुकल अछि। 
25 टा नुक्कड़ नाटक: चक्रव्युहलटर पटर अहाँ बन्द करूबाढ़ि फेर औतयएक घर कानन एक घर गीतसेर पर सवासेरई गुर खेने कान छेदेनेआब कहू मन केहेन लगैएनव घरहमर बौआ स्कूल जेतएबेचना गेल एबीत मोहना गबए गीतमोड़ परककर लाल आदि। ईसभटा चौबटिया वीथीपर खेलायल गेल अछि। 
11 टा रेडियो नाटक: आलूक बोरीई जनम हम व्यर्थ गमाओलनाकक पूराफटफटिया काका आदि। ई सभटा पटनादरभंगा आनेपालक रेडियो स्टेशनसँ प्रसारित भेल अछि। सम्पादन: मैथिली एकाङ्की (साहित्य अकादमीनई दिल्ली)विदेहक नगरीसँ (कविता संग्रह)मैथिली भाषा पुस्तक (सेकेण्डरी स्कूल पोथी)लोकवेद (मैथिली पत्रिका)। कथा: प्रह्लाद जड़ि गेलधारएक दिनक जिनगीबनैया सुगाबालूक भीतबुलबुल्ला आदि। 
लघुकथा: डपोरशंखमुहचिड़ा आदि। 

सदस्यता: अध्यक्षमैथिली लोकरंगसदस्य कार्यकारी बोर्ड, मिनापजनकपुरयात्री मधुबनीमिथिला सांस्कृतिक मंच, मधुबनी। राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार सभमे सहभागिता।

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