Harimohan Jha |
मैथिली साहित्य जगतमे महाकवि विद्यापतिक बाद सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यकार मे प्रो. डॉ. हरिमोहन झाक नाम पहिल स्थान पर गनल जाइत अछि. अपन हास्य व्यंग्यपूर्ण शैलीमे सामाजिक-धार्मिक रूढ़ि, अंधविश्वास आऽ पाखण्ड पर चोट हिनकर रचनाक अन्यतम वैशिष्टय कहल जाइत अछि आ तेँ हिनका मैथिली साहित्यक 'हास्य सम्राट'क उपाधि सेहो देल जाइछ. प्रस्तुत अछि हुनक वय्क्तित्वक किछु अंश
हिनक जन्म 18 सितम्बर 1908 ई. मे ग्राम़+पो. कुमर बाजितपुर, जिला वैशाली, बिहार मे भेल। हिनक पिता पं० जनार्दन झा “जनसीदन” मैथिलीक अतिरिक्त हिन्दीक लब्धप्रतिष्ठ द्विवेदी युगीन कवि-साहित्यकार आ "मिथिला मिहिर"क एडिटर छ्लाह. 'मिथिला मिहिर' प्रसिद्ध मैथिली पत्रिका छल जेकरा दरभंगा महाराज शुरु केने छलैथ. हरिमोहन झाक विवाह 1924 में 16 बरखक उम्रमे सुभद्रा झाक संग भेल.
शिक्षा- 1927क कंबाइंड स्टेट इंटरमीडिएट एग्जामिनेशन मे संस्कृत, लॉजिक आ हिस्ट्री विषयक साथ फर्स्ट क्लास फर्स्ट एलाह. दर्शनशास्त्रमे एम.ए.-1932, बिहार-उड़ीसामे सर्वोच्च स्थान लेल स्वर्णपदक प्राप्त। सन् 1933 सँ बी.एन.कॉलेज पटनामे व्याख्याता, पटना कॉलेजमे 1948 ई.सँ प्राध्यापक, सन् 1953 सँ पटना विश्वविद्यालयमे प्रोफेसर तथा विभागाध्यक्ष आऽ सन्1970 सँ 1975 धरि यू.जी.सी. रिसर्च प्रोफेसर रहलाह।
14 अगस्त 82क रातिमे धर्मपत्नी श्रीमती सुभद्रा झाक कैन्सरसँ देहावसान भऽगेल रहनि। जखन पढ़न भऽ गेल तँ हरिमोहन बाबू कहलनि-"सफरमे आब एसकरे छी-मुसाफिर, सैह बूझू -मुसाफिर भऽ गेल छी।.. हम तँ यैह कहब, जे ई हमरासँ अहाँक अन्तिम भेट थिक। .. जकरा एक बेर देखै छिऐ, होइ-ए-फेर भेट होयत की नहि ? "
हरिमोहन बाबूक “जीवन यात्रा” एकमात्र पोथी छल जे मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित भेल छल आऽ एहि ग्रंथपर हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कार 1985 ई. मे मृत्योपरान्त देल गेलन्हि। साहित्य अकादमीसँ 1999 ई. मे “बीछल कथा” नामसँ श्री राजमोहन झा आऽ श्री सुभाष चन्द्र यादव द्वारा चयनित हिनकर कथा सभक संग्रह प्रकाशित कएल गेल, एहि संग्रहमे किछु कथा एहनो अछि जे हिनकर एखन धरिक कोनो पुरान संग्रहमे सम्मिलित नहि छल।
हिनकर अनेक रचना हिन्दी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगु आदि भाषामे अनुवादित भेल। हिन्दीमे “न्याय दर्शन”, “वैशेषिक दर्शन”, “तर्कशास्त्र” (निगमन), दत्त- चटर्जीक “भारतीय दर्शनक” अंग्रेजीसँ हिन्दी अनुवादक संग हिनकर सम्पादित “दार्शनिक विवेचनाएँ” आदि ग्रन्थ प्रकाशित अछि। अंग्रेजीमे हिनकर शोध ग्रंथ अछि- “ट्रेन्ड्स ऑफ लिंग्विस्टिक एनेलिसिस इन इंडियन फिलोसोफी”।
महान बिभूति हरिमोहन झा 23 फ़रवरी 1984 क' 75 बरखक उम्रमे हमरा सबहक बीच सं विदा भय गेलाह मुदा हुनक कृति अखन धरि अमर अछि आ निरंतर रहत.
हिनकर कृति -
1.कन्यादान (उपन्यास) -1933 2. द्विरागमन (उपन्यास),- 1943, 3. प्रणम्य देवता (कथा-संग्रह),- 1945 4. खट्टर ककाक तरंग (कथा-व्यंग्य)-1948 5.रंगशाला (कथा-संग्रह), -1949 6. चर्चरी (कथा-संग्रह)-1960 7. “रसमयी” क ग्राहक पत्र-शैली ८.पाँच पत्र पत्र-शैली ९. दलानपरक गप्प १०.घूरपरक गप्प ११.पोखड़िपरक गप्प १२. चैपाड़िपरक गप्प १३. धर्मशास्त्राचार्य १४.ज्योतिषाचार्य १५.पंडितजी १६.कविजी १७.परिवर्तन १८.युगक धर्म १९.महारानीक रहस्य २०.सात रंगक देवी २१.नौ लाखक गप्प २२.रंगशाला २३.अँचारक पातिल २४.चिकित्साक चक्र २५.रेशमी दोलाइ २६.धोखा २७.प्रेसक लीला २८.देवीजीक संस्कार २९.एहि बाटे अबै छथि सुरसरि धार ३०. कन्याक जीवन ३१. रेलक अनुभव ३२. ग्रामसेविका ३३. मर्यादाक भंग ३४.तिरहुताम ३५.टोटमा ३६.तीर्थयात्रा ३७.अलंकार-शिक्षा ३८.बाबाक संस्कार ३९.द्वादश निदान ४०.ग्रेजुएट पुतोहु ४१.ब्रह्माक शाप ४२.आदर्श भोजन ४३.सासुरक चिन्ह ४४.कालीबाड़ीक चोर ४५.कालाजारक उपचार ४६. विनिमय ४७. दरोगाजीक मोंछ ४८.शास्त्रार्थ ४९.विकट पाहुन ५०.आदर्श कुटुम्ब ५१.साझी आश्रम ५२. घरजमाय ५३.भदेशक नमूना ५४.बीमाक एजेन्ट ५५. अंगरेजिया बाबू ५६. संगठनक समस्या-पत्र शैली एकादशी” (कथा संग्रह)क दोसर संस्करण 1987 मे आयल जाहिमे ग्रेजुअट पुतोहुक बदलाने “द्वादश निदान” सम्मिलित कएल गेल जे पहिने “मिथिला मिहिर” मे छपल छल मुदा पहिलुका कोनो संग्रहमे नहि आएल छल।
श्री रमानाथ झाक अनुरोधपर लिखल गेल “बाबाक संस्कार” सेहो एहि संग्रहमे अछि आऽ हिनकर खट्टर काका” हिन्दीमे सेहो 1971 ई. मे पुस्तकाकार मे आएल।
पद्य आदि-
१.सनातनी बाबा ओ कलियुगी सुधारक २.कन्याक नीलामी डाक ३.मिथिलाक मिहिरसँ ४.ढाला झा ५.टी. पार्टी ६. बुचकुन झा ७.पंडित लोकनि सँ ८.निरसन मामा ९.आगि १०.अङरेजिया लड़कीक समदाउनि ११.गरीबनीक बारहमासा १२.श्री यात्रीजीक प्रति मैथिलीक उक्ति १३. सौराठ १४.अलगी १५.अशोक-वाटिकामे १६.पटना-स्तोत्र १७.श्रद्धेय अमरनाथ झाक प्रति श्रद्धांजलि१८.हिन्दी ओ मैथिली १९.बुचकुन बाबाक चिट्ठी २०.जगमग-जगमग दीप जराऊ २१.कलकत्ता गेला उत्तर २२.अकाल २३. कलकत्ता हमरा बड़ पसन्द २४.सलगमक खण्ड २५.बूढ़ानाथ २६.नवकी पीढ़ीसँ २७.पंडितओ मेम २८. पंडित-विलाप २९.गंगाक घाटपर ३०.समयक चक्र ३१.महगी-माहात्म्य ३२.रस-निमन्त्रण ३३.अकविताक प्रति कविताक उक्ति ३४.हम पाहुन छी ३५.अनागत प्रेयसीसँ ३६.मत्स्य-तीर्थ ३७.मिष्टान्न ३८.हे राजकमल ३९. घटक सौं ४०.पंडितजी सौं ४१.कनियाँक समस्या ४२.मुक्तक ४३. गजल ४४. मातृभूमि ४५. नारी-वन्दना ४६. हे दुलही के माय ४७. मात्रूभूमि वन्दना ४८.चन्द्रमाक मृत्यु ४९. मिथिला वन्दना ५०.कवि हे! आब कोदारि धरु ५१.महगी ५२.नव पराती ५३.चालिस आचैहत्तरि ५४.प्रयोगवादी कविता ५५.स्व. ललित नारायण मिश्रक स्मृतिमे ५६.उद्गार ५७. अन्तिम सत्य ५८.मधुर भाषा मैथिली छी ५९. छगुन्ता ६०.विद्यापति पर्व महान हमर ६१. आठ संकल्प ६२. घूटरकाका ६३.वनगाम-महिषी स्मृति ६४.मैथिली-वन्दना ६५. हे मातृभूमि केर माटि ६६.कहू की औबाबू ६७.कश्मीर हमर थीक ६८.मंगल प्रभात ६९.बुचकुन बाबाक स्वप्न ७०. जय विद्यापति ७१.शुभांशसा ७२. पारिचारिका स्तोत्र ७३. मनचन बाबा ७४. एहि बेरक फगुआ ७५.परतारु जुनि ७६.हे मजूर!
प्रमुख एकांकी कृति-अयाची मिश्र, मंडन मिश्र, महाराज विजय, बौआक दाम, रेलक झगड़ा “एकर अतिरिक्त हिनकक स्फुट प्रकाशित-लिखित पद्यक संग्रक “हरिमोहन झा रचनावली खण्ड-4 (कविता)” एहि नामसँ1999 ई.मे छपल आऽ हिनकर आत्मचरित “जीवन-यात्रा” 1984 ई.मे छपल।
No comments:
Post a Comment