पं० मधुकर नहि रहलाह - मैथिली भक्ति साहित्य केर एक युगक अन्त

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Baba Madhukar 
Sradhanjali Baba
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सैकड़ों शिव आ दुर्गा भक्तिक लोकप्रिय गीतक रचनाकार बाबा नीलकंठक परम उपासक मैथिली भाषा-साहित्य केर स्रष्टा पंडित मिथिलाक पं० मधुकान्त झा मधुकर
26 अप्रैल 2017 क 95 वर्षक उम्र मे दिवंगत भ गेलाह।
अप्रतिम शिव-भक्त आ संस्कृत एवं मैथिली भाषा-साहित्य केर स्रष्टा पंडित मधुकान्त झा ‘मधुकर’ केर जन्म सहरसा जिलाक चैनपुर गाम एक साधारण गृहस्थ परन्तु अत्यन्त शिक्षित-सुसंस्कृत ब्राह्मण परिवार मे 19 जनबरी, 1924 ई. केँ भेलनि। हिनक पिता स्वरूपलाल झा आ माता छेदनी देवी केर निरंतर प्रयास सँ शिक्षा-दीक्षा पूर्ण कयलनि तथा शिक्षक बनिकय लोकप्रियता हासिल कएलनि। अपन शिक्षण पेशाक संग लेखन मे सेहो महारत हासिल करैत कतेको रास रचनाक प्रकाशन सेहो करौलनि, आरो कतेक रास रचना हाल धरि अप्रकाशित छन्हि।

अपन गाम केर पारंपरिक धर्म-संस्कृति केँ संवर्धन-प्रवर्धन हेतु नीलकंठ कमरथुआ संघ केर स्थापना कएलनि। प्रत्येक वर्ष गाम सँ सुल्तानगंज होएत बाबा बैद्यनाथ धाम तथा बाबा वासुकिनाथ धरिक कामर यात्रा केर संचालन भेल जे आइ धरि ओहि इलाकाक सर्वथा राष्ट्रीय आयोजनसमान मनाओल जा रहल अछि। 
समाजसेवा मे सेहो बाबाक योगदान अविस्मरणीय अछि। केकरो बच्चा अशिक्षित नहि रहि जाय, ताहि प्रति पूर्ण संकल्पक संग अपनहि लंग राखिकय निर्धन सँ निर्धन छात्र तक केँ शिक्षा दियौलनि। आइ बाबाक शत-प्रतिशत शिष्य देश भरि मे उच्च स्थान पर कार्यरत छथि आर बाबा प्रति अनुराग मे किनको कहियो कमी नहि देखल गेल। कतेको रास शिक्षक, प्रोफेसर आदि बाबाक सिखायल गुर अनुरूप अपनो लब्ध-प्रतिष्ठित स्थान पर सुशोभित होयबाक सुख बाबा केँ सेहो अपन आजन्म तपस्याक फल स्वरूप देखाएत रहल छन्हि।
1968 सँ 1974 धरि मधुकर बाबा आकाशवाणीक पटना केन्द्र मे सेहो अपन योगदान प्रवचन विभाग मे देलनि। हुनकर श्रोता ओना तऽ एक सँ बढिकय एक लोक छलाह लेकिन ताहि समयक सर्वाधिक लोकप्रिय जननेता कर्पुरी ठाकुर हुनक देल नित्य सीख केँ ग्रहण कएनिहार नियमित श्रोता मे सर्वाधिक चर्चत छलाह। 1948 मे कहरा प्रखंड केर उद्घाटनकर्ताक रूप मे सेहो मधुकर बाबा केँ स्मरण कैल जाएछ।
बाबाक प्रकाशित रचना मे समाज सौगात, नवीन नचारी, अभिनव नविन नचारी, मधुकर माधुरी, नीलकंठ मधुकर पदावली शामिल अछि। तहिना नारद भक्ति सूत्र केर मैथिली अनुवाद संग समाचरित शंकराचार्य प्रश्नोत्तरी एवं मधुकर नीलकंठ षटकम् (संस्कृत) आ नीलकंठ एकादशत्व (संस्कृत) सेहो प्रकाशित रचना मे शामिल अछि।
कलर्स आफ मिथिला

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